दिल्ली कूच करने की जिद पर डटे किसानों और केंद्र सरकार के बीच आज यानि गुरुवार शाम पांच बजे चंडीगढ़ में तीसरे दौर की वार्ता होनी है। कल पटियाला में किसान नेता जगजीत डल्लेवाल और सरवण पंधेर ने पंजाब के अधिकारियों से मीटिंग के बाद यह जानकारी मिडिया को दी। आज होने वाली मीटिंग में केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा, पीयूष गोयल और नित्यानंद राय मौजूद रहेंगे। सरवण पंधेर ने आरोप लगाया कि हरियाणा पुलिस की बजाय अब पैरामिलिट्री फोर्स उन पर अटैक कर रही है। वहीं आंदोलन के दूसरे दिन तक किसान मजदूर मोर्चा और BKU (सिद्धूपुर) की अगुआई में किसान पंजाब और हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर डटे रहे थे। दिनभर वहां किसान और पुलिस आमने-सामने रही। किसानों ने हरियाणा में घुसने की कोशिश की तो पुलिस आंसू गैस के गोले फेंकती रही। प्रदर्शनकारी किसानों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उन पर असली गोलियां चलाई हैं।

खनौरी बॉर्डर पर किसानों और पैरामिलिट्री फोर्स के बीच झड़प हुई। जवानों ने किसानों का पीछा किया तो आगे उनसे ज्यादा किसान जमा हो गए। जिन्होंने जवानों को घेरकर उनके हेलमेट और डंडे छीन लिए। किसानों पर आंसू गैस के गोले फेंकने की घटना के बाद दूसरे संगठन भी प्रदर्शनकारियों के समर्थन में आ गए हैं।
संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने आज (गुरुवार) दोपहर 11 से 2 बजे तक 3 घंटे पंजाब के सभी टोल प्लाजा फ्री करवाने का ऐलान किया है। भारतीय किसान यूनियन (उगराहां) ने पंजाब के 6 जिलों में दोपहर 12 से 4 बजे तक ट्रेनें रोकने का ऐलान किया है। हरियाणा की भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी ग्रुप) के प्रमुख गुरनाम चढ़ूनी ने समर्थकों की आज 11 बजे इमरजेंसी मीटिंग बुला ली है।
इससे पहले हरियाणा सरकार ने राज्य के 7 जिलों में इंटरनेट बैन बढ़ाकर 15 फरवरी रात 12 बजे तक कर दिया है। यह पाबंदी अंबाला, कुरुक्षेत्र, कैथल, जींद, हिसार, फतेहाबाद, सिरसा में लागू रहेगी। बता दें कि 13 फरवरी को किसानों ने पंजाब से हरियाणा के लिए कूच किया था। उस दिन दोपहर करीब 12 बजे किसान एकसाथ पंजाब-हरियाणा के शंभू, खनौरी और डबवाली बॉर्डर पर पहुंचे। सबसे ज्यादा किसान शंभू बॉर्डर पर पहुंचे। यहां पर किसानों के पहुंचते ही हरियाणा पुलिस ने आंसू गैस के गोले बरसाए। पुलिस ने रबर की गोलियां भी चलाईं। किसानों के साथ झड़प में अंबाला पुलिस के DSP समेत 5 पुलिसकर्मी और कई किसान भी घायल हो गए।
क्या हैं प्रमुख मांगे जिनके लिए हो रहा आंदोलन
किसानों का कहना है कि सरकार ने 2020-21 के विरोध प्रदर्शन के दौरान किए गए वादे पूरे नहीं किए हैं। वे पेंशन की भी मांग कर रहे हैं और सरकार से अपना कर्ज माफ करने को कहा है। नकली बीज, कीटनाशक और खाद बेचने वालों को दंडित करने की मांग कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि सरकार ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत कार्य दिवसों की संख्या दोगुनी कर 200 कर दे। प्रदर्शनकारी यह भी चाहते हैं कि भारत विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) से हट जाए और सभी मुक्त व्यापार समझौतों को रद्द कर दे।


