January 15, 2025 - 3:01 pm

Eid-ul-Azha : बकरीद पर कुर्बानी वाले बकरों के दांत क्यों गिने जाते हैं? एक क्लिक में जानें

Must Read

ईद-उल-अजहा यानि बकरीद इस साल भारत में 17 जून को मनाई जा रही है। बकरीद, इस्लाम के सबसे पवित्र त्योहारों में से एक माना जाता है। बता दें कि इस्लाम में सालभर में दो ईद मनाई जाती हैं। एक को मीठी ईद कहा जाता है और दूसरी को बकरीद के नाम से जाना जाता है। ईद, अपना कर्तव्य निभाने का और अल्लाह पर विश्वास बनाए रखने का त्योहार है। बकरीद के मौके पर बकरे की कुर्बानी दी जाती है। इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक इसे आखिरी महीने के दसवें दिन मनाया जाता है।

क्यों गिने जाते हैं बकरे के दांत?
तो चलिए आपको बताते हैं कि बकरीद पर बकरे के दांत क्यों गिने जाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि माना जाता है कि केवल 1 साल के बकरे की ही कुर्बानी दी जानी चाहिए। इस वजह से यदि किसी बकरे के दो, चार या फिर छह दांत होते हैं तो ही उनकी कुर्बानी दी जाती है। न ही नवजात और न ही बुजुर्ग बकरे की कुर्बानी दी जाती है। ऐसे में यदि किसी बकरे के दांत नहीं हैं या फिर किसी बकरे के दांत दो, चार या फिर छह से ज्यादा हैं तो उसकी कुर्बानी नहीं दी जाती है।

क्यों मनाते हैं बकरीद?
हजरत इब्राहिम के अल्लाह के प्रति अपने बेटे इस्माइल की कुर्बानी की याद में बकरीद मनाई जाती है। इसके जरिए दर्शाया जाता है कि हजरत इब्राहिम अल्लाह में सबसे अधिक विश्वास रखते थे। दरअसल, अल्लाह पर अपने विश्वास को दिखाने के लिए उन्हें अपने बेटे इस्माइल की बलि देनी थी। हालांकि, जैसे ही उन्होंने इसके लिए अपनी तलवार उठाईओ वैसे ही उनके बेटे की जगह एक दुंबा (भेड़ जैसी प्रजाति) आ गई और उनके बेटे की जान बच गई। इसी कहानी के आधार पर हर साल बकरीद के मौके पर जानवर की कुर्बानी दी जाती है। इसे तीन भागों में काटा जाता है। एक भाग गरीबों को दूसरो दोस्तों और रिश्तेदारों को और बचा हुआ भाग परिवार खाता है।

- Advertisement -spot_img

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisement -spot_img
Latest News

Japan: “क्या टोक्यो की चमक-दमक के पीछे छिपा है सेक्स व्यापार का अंधेरा सच?”….

गरीबी और सेक्स टूरिज्म का संबंध कहते हैं कि किसी देश में सेक्स टूरिज्म की प्रमुख वजह गरीबी होती है।...
- Advertisement -spot_img

More Articles Like This

- Advertisement -spot_img