इस वर्ष आयोजित हुई देश की सबसे बड़ी मेडिकल प्रवेश परीक्षा को लेकर विवाद बढ़ रहा है। विवाद की शुरूआत परीक्षा के आयोजन से ही शुरू हो गई थी। पहले परीक्षा लीक के आरोप लगे और रिजल्ट आने के बाद उसमें गड़बड़ी के आरोप लगने शुरू हो गए। देशभर से परीक्षा को पुनः आयोजित करने की मांग उठ रही है।
नीट यूजी परीक्षा का आयोजन 05 मई, 2024 को किया गया था, जिसके लिए देशभर में 557 व विदेशों के 14 शहरों में परीक्षा केंद्र बनाए गए। करीब 24 लाख छात्रों ने इस वर्ष परीक्षा में भाग लिया। परीक्षा होने के बाद पेपर लीक के भी आरोप लगे। हालांकि, एनटीए ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा था कि परीक्षा सुचारू रूप से शुरू हुई और शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुई।
विवाद तेजी से तब बढ़ा जब, 4 जून को एनटीए ने नीट यूजी का रिजल्ट जारी किया। इस वर्ष रिकॉर्ड 67 उम्मीदवारों ने अखिल भारतीय रैंक – 1 हासिल की। रिजल्ट देखने के बाद कई अभ्यर्थियों ने अंकों में अनियमितता का आरोप लगाया। उनका कहना है कि इस अनियमितता के कारण ही शीर्ष 67 अभ्यर्थियों में एक ही केंद्र के 6 अभ्यर्थी शामिल हैं। यह आरोप अंकों में वृद्धि को लेकर लगाया गया।
टॉपर्स की संख्या में वृद्धि क्यों हुई?
हालांकि, राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) ने किसी भी अनियमितता से इनकार किया और कहा कि छात्रों के उच्च अंक प्राप्त करने के पीछे एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों में किए गए बदलाव और परीक्षा केंद्रों पर समय की बर्बादी के लिए दिए गए ग्रेस मार्क्स जैसे कुछ कारण हैं।
एनटीए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हमें इस मुद्दे पर एक अभ्यावेदन भी मिला, जिसके कारण एनटीए को उन सभी छात्रों को पांच अंक देने पड़े जिन्होंने दो विकल्पों में से एक को चिह्नित किया था। इस कारण से कुल 44 छात्रों के अंक 715 से बढ़कर 720 हो गए, जिसके परिणामस्वरूप टॉपर्स की संख्या में वृद्धि हुई।
कुछ अभ्यर्थियों को 718 और 719 अंक कैसे मिले?
नीट का पेपर 720 नंबर का होता है। हर सवाल चार नंबर का होता और गलत उत्तर पर एक अंक की नेगेटिव मार्किंग होती है। कोई छात्र अगर सभी सवाल सही करता है तो उसके पूरे 720 में से 720 आते हैं और अगर एक सवाल छोड़ देता है तो उसके 716 अंक आएंगे। ऐसे में तर्क दिया गया कि किसी भी छात्र के 718 और 719 अंक आना असंभव है।
इसपर एनटीए की तरफ से कहा गया, “परीक्षा समय के नुकसान का पता लगाया गया और ऐसे उम्मीदवारों को अनुग्रह अंकों के साथ मुआवजा दिया गया। इसलिए, उनके अंक 718 या 719 भी हो सकते हैं।”
झज्जर के बहादुरगढ़ में क्या हुआ?
झज्जर के बहादुरगढ़ में नीट परीक्षा के लिए बनाए गए केंद्रों पर परीक्षार्थियों को गलत पेपर आवंटित किए गए थे। विद्यार्थियों को एक नहीं, प्रश्न पत्र के दो सेट सॉल्व करने के लिए दिए गए। जब बच्चे एक पेपर को 30 से 40 मिनट तक सॉल्व कर चुके थे, तब वह पेपर लेकर सिर्फ दूसरा पेपर सॉल्व करने को कहा गया था। इसके चलते बच्चों की परीक्षा अच्छी नहीं हुई थी।
माना जा रहा है कि बहादुरगढ़ केंद्रों पर जिन बच्चों का समय दूसरा पेपर देने की वजह से खराब हुआ था, उनको एनटीए की तरफ से ग्रेस मार्क दिए गए हैं। कुछ बच्चों को तो 50 से 60 नंबर तक ग्रेस मार्क देने की बात सामने आई है, लेकिन एनटीए ने फिलहाल साफ नहीं किया है कि किस बच्चे को कितने ग्रेस मार्क दिए गए हैं और किस आधार पर ग्रेस मार्क दिए गए हैं।
एक ही सेंटर से 6 टॉपर कैसे निकले?
इसके जवाब में एनटी की ओर से कहा गया कि जिस सेंटर से 6 नीट टॉपर निकले हैं, वहां पर परीक्षा दे रहे स्टूडेंट्स के ओवरऑल एवरेज मार्क्स भी ज्यादा थे। यानी बच्चों की परफॉर्मेंस अन्य जगहों से बेहतर थी।
मामले की सीबीआई जांच की हुई मांग
देशभर से इस मुद्दे पर टिप्पणियां आ रही हैं। आईएमए जूनियर डॉक्टर्स नेटवर्क ने एनटीए को पत्र लिखा और मामले की सीबीआई जांच की मांग की। पत्र में सभी छात्रों के लिए निष्पक्ष और पारदर्शी मूल्यांकन प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए” पुन: परीक्षा का भी अनुरोध किया गया।