उत्तराखंड के रामनगर के पूचड़ी गांव के 151 परिवारों को वन विभाग ने बेदखली का नोटिस दिया है, जिससे ग्रामीणों में हड़कंप मच गया है। उनका कहना है कि वे कई वर्षों से यहां निवास कर रहे हैं और उन्हें सरकार द्वारा बुनियादी सुविधाएं भी प्रदान की गई हैं। ऐसे में अचानक बेदखली के नोटिस ने उनकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
ग्रामीणों का दावा है कि उनके पास जमीन के अधिकार के प्रमाण हैं, लेकिन वन विभाग का कहना है कि यह भूमि वन क्षेत्र में आती है और उन्हें इसे खाली करना होगा। विभाग का तर्क है कि पहले भी नोटिस जारी किए जा चुके हैं, लेकिन ग्रामीणों ने इसे अनसुना किया।
वन विभाग ने स्पष्ट किया कि इन परिवारों के खिलाफ पहले से कानूनी प्रक्रिया चल रही थी, और डीएफओ कोर्ट में सुनवाई के दौरान ग्रामीणों से दस्तावेज पेश करने को कहा गया था, जिसे वे नहीं दिखा सके। इसी कारण बेदखली का नोटिस जारी किया गया है।

ग्रामीणों ने सरकार से गुहार लगाई है कि उनकी स्थिति को ध्यान में रखते हुए उनके अधिकारों की रक्षा की जाए। उनका डर है कि बेदखली की स्थिति में उनकी रोजी-रोटी पर संकट आ जाएगा। यदि उन्हें जबरन हटाया गया, तो वे इसका विरोध करेंगे।
इस मामले ने अब तूल पकड़ लिया है। प्रशासन ने क्षेत्र में धारा 163 लागू कर दी है, जिसके तहत अगले दो महीने तक धरना प्रदर्शन और एकत्र होने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इससे ग्रामीणों में दहशत का माहौल है। सामाजिक कार्यकर्ता मनीष अग्रवाल ने इसे स्वतंत्रता के बाद के समय में अस्वीकार्य बताया है।
अब ग्रामीणों के घरों पर सरकारी बुलडोजर चलाने का खतरा है, और इस आदेश के खिलाफ काफी आलोचना हो रही है। रामनगर के उप जिलाधिकारी राहुल शाह द्वारा जारी यह आदेश ग्रामीणों के लिए चिंता का विषय बन गया है।