2022 के सावन महीने में भाजपा और जनता दल यूनाइटेड की जुदाई हुई थी। 2022 के बाद 2023 में पूरे साल अमित शाह ने बिहार के हर कोने का दौरा किया। पश्चिमी चंपारण से लेकर नवादा, लखीसराय, पटना और सीमांचल में अमित शाह ने बड़ी रैलियां कीं और एक ही संदेश दिया- नीतीश बाबू! अब एनडीए के दरवाजे आपके लिए बंद हो चुके हैं। आप जिनकी कृपा से मुख्यमंत्री बने हो, कम से कम उसका तो लिहाज करते।
अमित शाह के बयान पर जेडीयू की ओर से हमले भी होते रहे, इस बीच नितीश कुमार ने भी कहा था कि वो भाजपा के साथ गठबंधन में लौटने के बजाय “मरना पसंद करेंगे” लेकिन 2023 का अंत आते आते एक दूसरे पर हमलावर दल अचानक नरम रुख अपना लिए।
इस दौरान नितीश के इंडिया गठबंधन में प्रधानमंत्री पद का चेहरा बनने तक की खबरें आने लगी लेकिन जल्द ही नितीश ने इंडिया गठबंधन से किनारा कर लिया। लोकसभा चुनाव की आहट पर नितीश वापस NDA में लौट आये।
इधर, लोकसभा चुनाव परिणाम में भाजपा जादुई आंकड़े को छू नहीं पाई और सरकार बनाने के लिए उसे NDA का सहारा लेना पड़ रहा है। इसमें चंद्र बाबू शेखर के बाद नितीश सबसे मजबूत चेहरा हैं। सरकार में बने रहने के लिए अमित शाह और नितीश बाबू अपने पुराने बयान को भूल साथ साथ नजर आ रहे हैं। हालाँकि सोशल मीडिया पर एक बार फिर उनका पुराना वीडियो जरूर घूम रहा है।